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इंसान मोबाइल चला रहा है या मोबाइल इंसान को ?

 

मोबाइल का नशा दुनिया में मौजूद
किसी अन्य नशा से कम नहीं है लोग फेम और लाइक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार
हैं, आलम यह है कि अभी की पीढ़ी को बैडमिंटन, बैट- बॉल, कैरम, चेस नहीं चाहिए बस उसे
एक मोबाइल चाहिए जिसमें अच्छा कैमरा हो, आकार बड़ा हो कुछ एप्लीकेशन जैसे
instagram,
Facebook, you-tube और सबसे महत्वपूर्ण Whatsapp हो. इंसान के दोस्त
वर्चुअल हो गए हैं, जो पोस्ट डालने वाले के भावनाओं के अनुसार इमोजी भेजते हैं.
जैसे अगर किसी व्यक्ति ने पोस्ट डाला है कि वह किसी कारण से दुखी है तो लोग रोने
वाला इमोजी भेज देते हैं, यदि व्यक्ति ने खुशी का पोस्ट डाला है तो लोग बधाईयाँ
देंगें और हँसने का या खुश होने का इमोजी भेज देते हैं. जिस व्यक्ति ने पोस्ट साझा
किया है वो व्यक्ति इतने से खुश है. लोग इसे ही अपनी वास्तविक खुशी समझ रहे हैं और
लोगों को लग रहा है मेरी दुनिया सिर्फ यही है.


इंसान मोबाइल के अधीन  

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इंसान मोबाइल को चलाने के लिए उठाता तो अपनी मर्जी से है
लेकिन अपनी मर्जी से मोबाइल को छोड़ नहीं पाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण गूगल है
जो कि आपको वही दिखाता है जो वो देखना चाहता है. अब आप को लगेगा ये जानकारी मैंने तो
नहीं दी तो गूगल के पास ये जानकारी कहाँ से आयी.

आइये बताते हैं कि गूगल के पास आपकी रूचि अर्थात आपके
इंटरेस्ट की जानकारी कहाँ से पहुंची?

गूगल में आप लोग जो भी सर्च करते हैं वो जानकारी गूगल अपने
पास रख लेता है एवं उसके अनुसार ही आपको
विज्ञापन (advertisement) दिखाता है या जिस प्रकार के वीडियोस को आप लाइक करते हैं उसी
प्रकार के वीडियोस दिखाता है.

उदाहरण के लिए यदि आपने गूगल में लैपटॉप या मोबाइल सर्च
किया है तो आप कोई भी वेबसाइट खोलिए या यू-ट्यूब खोलिए हर जगह आपको लैपटॉप या
मोबाइल ही दिखाई देगा. ये तो हुई विज्ञापन की बात अब
youtube या instagram के वीडियोस की बात करते हैं, यदि
आपने you-
tube में खाने से संबंधित विडियो सर्च किया है तो इसकी प्रबल संभावना है कि अगली
बार you-
tube आपको शुरू में खाने से संबंधित ही विडियो दिखाए.

पास होकर भी दूर हैं-  


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वर्तमान में यह स्थिति है कि यदि किसी घर में 3 सदस्य हैं तो इसकी संभावना प्रबल है कि तीनों
सदस्य आपस में बात करने की बजाय अपना- अपना मोबाइल चलाने में व्यस्त होंगे और तब
तक मोबाइल नहीं छोड़ेंगे जब तक या तो बैटरी लो न हो जाये या फिर कोई बहुत ही आवश्यक
कार्य न आ जाए.

मोबाइल का उपयोग

जब मोबाइल बना था तो किसी व्यक्ति ने यह कल्पना नहीं की
होगी कि मोबाइल का इस्तेमाल कॉल करने एवं रिसीव करने के अलावा किसी अन्य रूप में
किया जाएगा। मोबाइल को बनाने के पीछे का कारण साफ था कि सुदूर बैठे व्यक्ति से
संपर्क कर पाना एवं कुशलता की जानकारी प्राप्त कर पाना। किन्तु आजकल बगल कमरे में
बैठे व्यक्ति से पानी मंगाने या
wi- fi ऑन करने के लिए भी मोबाइल का इस्तेमाल किया जा रहा है और
इसका मुख्य कारण आलस्य एवं कॉल दर का कम होना है.

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यदि पहले के समय के लोगों की बात की जाए तो उस समय के लोग
घर में रहने से ज्यादा बाहर खेलने में रूचि लेते हैं
स्थिति यह भी थी कि वो लोग अंधेरा होने या फिर घर से बुलावा आने पर ही घर जाते
थे अन्यथा दोस्तों के साथ खेलते ही रहते थे और अभी की स्थिति यह है कि बैटरी लो
होने पर ही खाना खाने की या घर वालों की याद आती है. 

मोबाइल के इस्तेमाल से उत्पन्न समस्याएं

मोबाइल न होने अथवा कम इस्तेमाल होने के कारण पहले के
व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होती थी. मोबाइल का उपयोग करने के
कारण आजकल के छोटे- छोटे बच्चों में दृष्टि दोष की समस्या आम होते जा रही है. आलम यह
है कि गेम नहीं खेलने देने पर बच्चों में आत्महत्या के केस बढ़ते जा रहे हैं. इसका
कारण कुछ हद तक परिजन भी हैं. बच्चा जब छोटा होता है तो उसे मोबाइल दिखा कर चुप
कराया जाता है, खाना खिलाया जाता है और यहाँ तक कि मोबाइल में विडियो चला कर बच्चे
के पास रख दिया जाता है ताकि बच्चा मोबाइल में व्यस्त रहे और परेशान न करे.

निष्कर्ष 

छोटे बच्चों को मोबाइल के पहुँच से दूर रखें. बच्चों के सामने अधिक मोबाइल इस्तेमाल न करें.
छोटे बच्चों को खाना खिलाने या मनाने के लिए न दें.
यदि पने बच्चे को पढाई के लिए मोबाइल दे रहे हैं तो ध्यान रखें कि बच्चा
पढाई ही करे. साथ ही बच्चों के लिए
you tube kids एप्लीकेशन इंस्टाल कर के दें. 

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